अच्छी बातें
दोहे
औछी बातें छोड़ कर,जन का करो सुधार।
अगली सत्ता जीत हो,बना रहे इतबार।।
छलता मौका हाथ ले,जाता मानव भूल।
फूलों बदले फूल हैं,शूलों बदले शूल।।
कमियाँ खुद की भूल के,औरों में है चूर।
भैंस बिदकती ऊँट से,समझ खुदी को हूर।।
झूठा नाता ठीक ना,होता है यह हीन।
नाचे कब है भैंस रे,बजती जब भी बीन।।
मानव मानवता भूल के,लिए स्वार्थ की आड़।
काम खुदी के पूर्ण हों,सारे जाएँ भाड़।।
बेटी का घर राज हो,पर हो बहू गुलाम।
ऐसी माँ की सोच को,कैसे करें सलाम।।
बहना बेटी और माँ,सबका करना मान।
शांति रहे हर ओर तब,होगा तब उत्थान।।
साथ नहीं अन्याय का,होय किसी के संग।
ना जाने किस मोड़ पर,हम बन जाएँ अंग।।
प्रीतम पानी नेक धन,सदा रखो तुम साथ।
पानी चोरी लूट वो,कुछ ना बचता हाथ।।
प्रीतम हार न हार से,इसके आगे जीत।
कृष्ण-शुक्ल तुम पक्ष की,देखो अद्भुत रीत।।
प्रीतम छलना छोड़ दे,बुरी बहुत यह बात।
सूर्य-चन्द्र को ग्रहण हो,रूठे ना दिन-रात।।
प्रीतम देखो चाँदनी,कभी करे ना भेद।
समता राजा-रंक में,नहीं किसी से खेद।।
आर.एस. “प्रीतम”