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18 Jun 2016 · 1 min read

दोहे

चैन अमन के फूल अब, चमन करें गुलजार,
मिलकर हम सब ही करें, हिंसा का प्रतिकार।

कविता से जागृत करें, हम ये सकल समाज,
अमन चैन सद्भाव के, दीप जलाएं आज।

खून डकैती से भरे, रोज यहाँ अखबार,
आतंकी सिर पर खड़े, अमन हुआ लाचार।

शांति दूत बनकर कभी, देता था सन्देश,
तरस रहा है अम्न को, मेरा भारत देश।

अमन चैन की बात अब, हुआ गूलरी फूल,
मानवता ज़ख़्मी हुई, कौन सुधारे भूल।

दीपशिखा सागर –

Language: Hindi
1 Like · 742 Views

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