दोहे
राजनीति बाज बैठो, करत गरीब संहार ।
अपनो वजूद राखो , करत सहज प्रहार॥
राजनीति मधु प्याला, दुष्ट जन करत पान।
धर्म अधर्म कोऊ नाहीं, जो पावै झूठी शान॥
बेरोजगारी अनीति से,राजनीति को नहीं काम।
शोषण अत्याचार भी है, सम्मानीयों के काम ॥
चूल्हा चक्की सब टूटी ,गरीब माँगे सबकी खैर ।
देखत झोपड उजडी , राजनीति करे विदेश सैर॥
देख हालात त्रस्त ग्रस्त,आम जन डरा घबराया ।
बैर द्वेष भूल कर पस्त ,आम जन काम आया ॥
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