दोहे
************** दोहावली *************
***********************************
मन में हो सादगी , सादे उच्च विचार।
कुदरत की कर बंदगी , हल्का हो मनभार।।
नीति छोड़ो झूठ की , सच्चे का दो साथ।
घर मे बरकत खूब हो , सिर हो साया नाथ।।
अहम में कुछ नहीं धरा,नियति नियत हो साफ।
भूखा मनवा नहीं भरा , खाली रहते हाथ।।
मनसीरत सब से कहे , दो टूक करो बात।
ख़तरे से खाली नही , काली बोली रात।।
***********************************
सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)