दोहे
?️दोहे?️
मीरा की दीवानगी, वंशीधर के साथ।
वंशीधर उर में बसा,ले इकतारा हाथ।।
गली-गली में घूमती, जपती कान्हा नाम।
मेरे तो गोपाल हैं,रटे है सुबह शाम।
श्याम नाम महिमा बड़ी,हर मुश्किल का तोड़।
छोड़ो माया जाल को,प्रभु से नाता जोड़।।
मुरलीधर से प्रेम कर,मीरा हैं बेहाल।
अंसुवन की धार बहे,सारे भर गय ताल।।
सुषमा सिंह “उर्मि,,