दोहे
दोहे
मंडूक दोहा
18गुरु /12 लघु
भरत निहारे चांद को, करे न कोई शोर।
चाहूं तेरे प्यार को, आ जाओ इस ओर।।
मर्कट दोहा
17गुरु /14लघु
चांद निगोड़ा बाबरा ,प्यासी प्रीत चकोर।
रैन भर रहे ताकता, भीगे पलकें कोर।।
बल दोहा
11गुरु /26लघु
सरोवर छवि निहारता, निसदिन बैठ चकोर।
सब सुध -बुद्ध बिसारता ,प्रीतम है वह मोर।।
नर दोहा
15गुरु /18लघु
चुपके चुपके देखता, चांद को नित चकोर।
मन ही मन है सोचता, साजन है या और।।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश)