दोहे
शब्द शब्द मुखरित हुआ, छंद छंद नव गीत,
मन वीणा बजने लगी, कुसुमित होती प्रीत।
गीत नही ये साजना,प्रणय भाव निष्काम,
जीवन के हर पृष्ठ पर, प्रीतम तेरा नाम।
रात फलक पर लिख दिया, तारों ने मधु गीत,
शब् को लेकर बाँह में, चाँद सहेजे प्रीत।
गीत गीत में प्रीत है, शब्द शब्द में प्यार,
नाम पिया के कर दिया, भाव भरा संसार।
मन्दिर में मनमीत है, मन की सूनी भीत,
प्रणय सुधा रस धार बिन,सज न सकेंगें गीत।
साँवरिया सरकार को, बना लिया है मीत,
श्वांस श्वांस है बांसुरी, धड़कन धड़कन गीत।
दीपशिखा सागर –