दोहे
सुप्रभात मित्रों ?❤️?
सर्दी की ठिठुरन गयी,आया है मधुमास।
रवि रथ पर आरूढ हो,बंधा रहा है आस।
पूरब से निकला सहज, हुआ शुभ्र परभात।(१)
भोर खिली अनुपम छटा,लिए सुनहला गात।(२)
?❤️?
अटल मुरादाबादी
सुप्रभात मित्रों ?❤️?
सर्दी की ठिठुरन गयी,आया है मधुमास।
रवि रथ पर आरूढ हो,बंधा रहा है आस।
पूरब से निकला सहज, हुआ शुभ्र परभात।(१)
भोर खिली अनुपम छटा,लिए सुनहला गात।(२)
?❤️?
अटल मुरादाबादी