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16 Jan 2021 · 1 min read

दोहे

दर्पण

दर्पण देखो गौर से, देखो बारम्बार|
दिखलाए सच-सच सदा, नहीं करे इंकार||

दर्पण बोले सच सदा, नहीं तनिक भी झूठ|
जैसे को तैसा कहे, भले लाख जा रूठ||

दर्पण धुँधला मत कहो, मुख पर छाई गर्द|
मरहम बाहर ना लगा, भीतर हो जब दर्द||

मन दर्पण मैला हुआ, मैला जगत प्रतीत|
मनवा अपना साफ कर, होगी सब से प्रीत||

दर्पण दर्पण ही रहे, तजता नहीं स्वभाव|
अवसर कैसा भी रहे, देखा कभी न ताव||

-विनोद सिल्ला©

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 633 Views
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