दोहे – सुलह
नज़र रख विचारों पर, खोज ले अपनी कमी
उठने वाला तूफां उड़ा लेगा पैरों तले जमीं
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चिंता भविष्य की त्याग तत्क्षण ले संभाल
अनुभव अतीत का उतारे पार रखे ख्याल.
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तुमने पढ़ी सबने रामायण गीता कुरान
तुम तुम रहे मैं मैं बताओ कोई पहचान .
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जल अशुद्धता बढ़ गई,घर घर लगी मशीन
पीने को पानी नहीं, क्या करे बेचारे किसान.
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पौध हलके बीज लगी, झड़त बढ़ी बेशुमार,
खाओ यूरिया पीकर शराब स्वादिष्ट अचार.
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पेड़ लगाओ काया सुख छाया ईंधन मुख
सबके सहायक होता नहीं कोई विमुख.
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संपदा पर जो कब्जा करे वो ही पितर
पशु पक्षी पंथी सब वंचित बैठे किधर.
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जलाशय सब सूख गये बिन जल सब सून
मोटर चलाकर फर्श धोये तब मिले सुकून.
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एक वचन बहुत है संभल कर चलने वास्ते,
सुने सुनाये आरती दुर्घटना बनी रहे सास्ते.
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पंच पच्चीसी के खेल में सुलझ सके सुलझ,
लुट जायेगा बहुत कुछ समझ सके समझ.