#दोहे सफलता के
?दोहा सफलता के?
इच्छाएँ बढ़ती रही , भागे तन मन नैन।
बहुत मिला पर कुछ नहीं , जब तक चित बेचैन।।
साँस-साँस में मद भरा , उर में अधिक जुनून।
लिखे सफलता का वही , एक अमर मज़मून।।
अपने दम पर ज़िंदगी , जिसको सदा सलाम।
औरों के दम जो जिया , बनके रहा गुलाम।।
बिना लक्ष्य मंज़िल नहीं , मंज़िल जीवन शान।
भूख लगे होता तभी , रोटी का सम्मान।।
इंसान बने भाग्य से , सब जीवों में श्रेष्ठ।
कवि बनता सौभाग्य से , जो मानव में ज्येष्ठ।।
लिया प्रकृति से तोष सब , बढ़ो प्रकृति की ओर।
देने वाला ले सदा , सत्य भुला ना घोर।।
मानव साहस शक्ति है , शक्ति खुशी का मूल।
निज को हीन न मानिए , पंक खिलाए फूल।।
आर.एस.’प्रीतम’