#दोहे – सच्चे प्यार के
हो तेरा दीदार जब,हृदय बने रंगीन।
कोयल जैसे बोल हैं,मुखड़ा लिए हसीन।।
हँसके देखो प्यार से,मन लेते हो जीत।
मिलके तुमसे सोचता,पल ना जाए बीत।।
रूहों का हो प्यार जो,बनता वही अटूट।
नाता ख़ुशबू फूल का,कभी नहीं हो कूट।।
समझ बढ़े तब ज्ञान हो,हृदय मिले तब प्यार।
क़समें वादे किसलिए,विश्वास बने सार।।
प्यार माँजता मन सदा,करे गले का हार।
गंगा-जल सम पाक हो,धोए उर का ख़ार।।
रहे ख़ुदा मक़बूल जो,प्यार वही व्यवहार।
रिपु का मन भी जीत ले,करे हृदय गुलज़ार।।
प्यार हवश से दूर है,प्यार इबादत रूप।
धन बल छल से ना मिले,आत्म मिले अनुरूप।।
#आर.एस.”प्रीतम”
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