दोहे “रही प्रकाशित अवध में”
नमन सृजन समीक्षा मंच?
दिन-शुक्रवार
दिनांक-5.11.2021
विषय- रही प्रकाशित अवध में
रही प्रकाशित अवध में, सरयू निर्मल धार।
उत्सव है श्रीराम का, भव्य करें सत्कार।।
रही प्रकाशित अवध में, दीपमालिका द्वार।
राम, लखन, सिय आगमन, हर्षित हर नर, नार।।
रही प्रकाशित अवध में, छटा अमावस रात।
तमस मिटा जन दे रहे, दीपों की सौगात।।
दीप जला प्रभु नाम के, जगमग है हर धाम।
रही प्रकाशित अवध में, दीपोत्सव की शाम।।
डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
वाराणसी (उ. प्र.)