प्रेम विशेष
तू जो हँसके देख ले , जीवन रहे न भार।
उजड़े गुलशन लौट के , आए यहाँ बहार।।
तुम जो आए पाश में , हृदय हुआ मधुमास।
प्रथम स्पर्श ने बाँध के , मुझे किया है दास।।
प्रेम गीत सी भा गई , उतरी दिल में आप।
निशा दिवस दिल आपका , करता रहता जाप।।
लैला मंजनू प्यार सा , गूंजे जग में प्यार।
जैसे ख़ुशबू फूल का , साथ रहे व्यवहार।।
आर.एस. “प्रीतम”
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