दोहे (द्वादशी )
गुरु कुल से ÷
दोहा द्वादशी
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1
दोहे मन मोहे सदा, सुनो शिष्य धर ध्यान।
कीचड़ से दूरी रखो बनकर कमल समान।
2
आस लगाये भानजा,लखे आपकी ओर।
मामा बीती जिंदगी,करो कृपा की कोर ।
3
क ना कबूतर का रहा,का से का समझायँ।
अब तो का से कमल ही,गुरुजन सभी पढायँ।
4
गर्भ धरें सब नारियाँ, रहीं ध्यान में खोय ।
हुलसी हुलसी सब फिरें, मोदी सो सुत होय ।
5
सेठ उधारी मत बता,कुछ दिन धीरज राख।
आएँ इक दिन बैंक में, गुरु के पंद्रह लाख।
6
पूछ परख अब ना रही, हुआ समय का फेर।
लड़ चुनाव चौबीस का,बनत न लगिहै देर ।
7
मोदी मुदमंगल महा, मुमकिन मीत महान।
रे मूरख मन बावरे,मान सके तो मान।
8
किये अयोध्या के सभी, हल अति जटिल सवाल ।
मोदी से आशा करें, मथुरा में नँदलाल।
9
सबका हित लेकर चले,साधे देश कमान ।
राजा सदियों में मिला,मोदी सा गुणवान।
10
छोड दिया परिवार को, छोड़े रिश्तेदार।
केवल पकड़ा देश हित, मोदी विमल विचार।
11
जीवन भर गाये सदा, गुरू आपके गीत।
मीत प्रीत के ना बने,रहे वोट के मीत।
12
तेरह ग्यारह पर यती,रखो ध्यान चौबीस।
गुरू छंद सिखला रहे,लगे न कोई फीस।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
3/11/22