दोहे तरुण के।
दोहे तरुण के।
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कुछ पाने का हौसला,मन में अपने पाल।
अर्जुन जैसा लक्ष्य हो,चमक उठेगा भाल।।
जीवटता जिसमें नहीं,जीना उसका व्यर्थ।
कर्म करो प्रभु ने दिया, पहचानों सामर्थ।।
पंकज शर्मा “तरुण “.
दोहे तरुण के।
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कुछ पाने का हौसला,मन में अपने पाल।
अर्जुन जैसा लक्ष्य हो,चमक उठेगा भाल।।
जीवटता जिसमें नहीं,जीना उसका व्यर्थ।
कर्म करो प्रभु ने दिया, पहचानों सामर्थ।।
पंकज शर्मा “तरुण “.