दोहे – डी के निवातिया
दोहे
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मोल तोलकर बोलिये, वचन के न हो पाँव !
कोइ कथन औषधि बने, कोइ दे घने घाव !!
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दोस्त ऐसा खोजिये, बुरे समय हो साथ !
सुख में तो बहुरे मिले, संकट न आवे पास !!
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संगत ऐसी राखिये, जहां मिले सुविचार !
झूठा सारा जग भया, सुसंगत तारे पार !!
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विद्या मन से पाइये, जा में जग समाय !
जो भी इसमें रम रहा, सो सफल हो जाय !!
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करम ऐसे तुम कीजे, मन को ठंड मिल जाय !
रात चैन कि नींद मिले, दिन सुख से कट जाय !!
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स्वरचित: – डी के निवातिया