दोहा
मृगनयनी चंचल चले, हिरनी जैसी चाल ।
अपना यौवन षोडशी ,चलती बड़ा संभाल ।।
मद में गौरी जब चले, हिरनी जैसी चाल ।
आशिक, भौंरे, मनचले, डालें अपना जाल ।।
सुशील सरना / 13-1-24
मृगनयनी चंचल चले, हिरनी जैसी चाल ।
अपना यौवन षोडशी ,चलती बड़ा संभाल ।।
मद में गौरी जब चले, हिरनी जैसी चाल ।
आशिक, भौंरे, मनचले, डालें अपना जाल ।।
सुशील सरना / 13-1-24