Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jan 2023 · 1 min read

दोहा

कुर्सी मुक्तक एक हैं, दोनों के पद चार।
एक शोभित छंद करे, दूजी दे सरकार।।

सूर्यकान्त

Language: Hindi
194 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Suryakant Dwivedi
View all
You may also like:
श्री गणेश वंदना:
श्री गणेश वंदना:
जगदीश शर्मा सहज
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
मुझे क्रिकेट के खेल में कोई दिलचस्पी नही है
मुझे क्रिकेट के खेल में कोई दिलचस्पी नही है
ruby kumari
देश का वामपंथ
देश का वामपंथ
विजय कुमार अग्रवाल
ग़ज़ल -संदीप ठाकुर- कमी रही बरसों
ग़ज़ल -संदीप ठाकुर- कमी रही बरसों
Sandeep Thakur
सच तो हम सभी होते हैं।
सच तो हम सभी होते हैं।
Neeraj Agarwal
गज़ल
गज़ल
Jai Prakash Srivastav
इश्क़ कमा कर लाए थे...💐
इश्क़ कमा कर लाए थे...💐
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
चिंटू चला बाज़ार | बाल कविता
चिंटू चला बाज़ार | बाल कविता
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
#नादान प्रेम
#नादान प्रेम
Radheshyam Khatik
चाय सबके लिए है चाय क्लास स्टैंडर्ड देखकर साथ नही देती चाय त
चाय सबके लिए है चाय क्लास स्टैंडर्ड देखकर साथ नही देती चाय त
पूर्वार्थ
कुछ काम करो , कुछ काम करो
कुछ काम करो , कुछ काम करो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"गम का वहम"
Dr. Kishan tandon kranti
*मर्यादा पुरूषोत्तम राम*
*मर्यादा पुरूषोत्तम राम*
Shashi kala vyas
अगर आपको अपने आप पर दृढ़ विश्वास है कि इस कठिन कार्य को आप क
अगर आपको अपने आप पर दृढ़ विश्वास है कि इस कठिन कार्य को आप क
Paras Nath Jha
..
..
*प्रणय प्रभात*
उसकी सूरत में उलझे हैं नैना मेरे।
उसकी सूरत में उलझे हैं नैना मेरे।
Madhuri mahakash
मैं कहना भी चाहूं उनसे तो कह नहीं सकता
मैं कहना भी चाहूं उनसे तो कह नहीं सकता
Mr.Aksharjeet
कुछ बातों का ना होना अच्छा,
कुछ बातों का ना होना अच्छा,
Ragini Kumari
புறப்பாடு
புறப்பாடு
Shyam Sundar Subramanian
*खादी ने अनुपम काम किया, चरखे ने कब विश्राम किया (राधेश्यामी
*खादी ने अनुपम काम किया, चरखे ने कब विश्राम किया (राधेश्यामी
Ravi Prakash
गैरों सी लगती है दुनिया
गैरों सी लगती है दुनिया
देवराज यादव
राज़ हैं
राज़ हैं
surenderpal vaidya
1🌹सतत - सृजन🌹
1🌹सतत - सृजन🌹
Dr .Shweta sood 'Madhu'
“MY YOGA TEACHER- 1957” (REMINISCENCES) {PARMANPUR DARSHAN }
“MY YOGA TEACHER- 1957” (REMINISCENCES) {PARMANPUR DARSHAN }
DrLakshman Jha Parimal
जमाना है
जमाना है
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
महज़ एक गुफ़्तगू से.,
महज़ एक गुफ़्तगू से.,
Shubham Pandey (S P)
मेरे हिस्से में ना कभी धूप आई ना कभी छांव,
मेरे हिस्से में ना कभी धूप आई ना कभी छांव,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तेरे हक़ में
तेरे हक़ में
Dr fauzia Naseem shad
होटल में......
होटल में......
A🇨🇭maanush
Loading...