Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
Suryakant Dwivedi
48 Followers
Follow
Report this post
3 Jan 2023 · 1 min read
दोहा
साँसों की है पोटली, उसमें रंग हजार।
ज्यूँ सरसो के खेत में, पीले पुष्पाहार।।
सूर्यकांत
Language:
Hindi
Tag:
दोहा
Like
Share
167 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
Books from Suryakant Dwivedi
View all
सूर्यांश
Surya Kant Dwivedi
You may also like these posts
प्रीतम के दोहे- 13/7/2024
आर.एस. 'प्रीतम'
"सुनव अउ गुनव"
Dr. Kishan tandon kranti
हे भारत के हिन्दू सुन लो
गुमनाम 'बाबा'
कांधा होता हूं
Dheerja Sharma
इन आँखों में इतनी सी नमी रह गई।
लक्ष्मी सिंह
गंगा- सेवा के दस दिन (चौथादिन)
Kaushal Kishor Bhatt
2801. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पुलिस की चाल
नेताम आर सी
बेचो बेचो सबकुछ बेचो
Abasaheb Sarjerao Mhaske
मेरी कलम से…
Anand Kumar
क्षितिज पर उदित एक सहर तक, पाँवों को लेकर जाना है,
Manisha Manjari
अच्छा रहता
Pratibha Pandey
वो पेड़ को पकड़ कर जब डाली को मोड़ेगा
Keshav kishor Kumar
खींच रखी हैं इश्क़ की सारी हदें उसने,
शेखर सिंह
* याद है *
surenderpal vaidya
वेदों की जननी…नमन तुझे!
मनोज कर्ण
रम्मी खेलकर लोग रातों रात करोड़ पति बन रहे हैं अगर आपने भी स
Sonam Puneet Dubey
हम और आप ऐसे यहां मिल रहें हैं,
Jyoti Roshni
मन मेरा एकाकी है
Sanjay Narayan
गुम है
Punam Pande
*आओ ढूॅंढें अपने नायक, अपने अमर शहीदों को (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
वो अनजाना शहर
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
हिम्मत कर लड़,
पूर्वार्थ
खुदगर्जो का नब्ज, टटोलना है बाकी ..
sushil yadav
दोहे एकादश...
डॉ.सीमा अग्रवाल
युवा संवाद
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
पहाड़ गुस्से में हैं
सोनू हंस
वक्त के थपेड़ो ने जीना सीखा दिया
Pramila sultan
‘ विरोधरस ‘---9. || विरोधरस के आलम्बनों के वाचिक अनुभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
🙏*गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Loading...