दोहा ग़ज़ल।
दोहा ग़ज़ल।
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मिल कर आज मनाइए,दीपों का त्योहार।
इतनी कर दो रोशनी, देखे यह संसार।।
आतिशबाजी जब करें,रखना इतना ध्यान,
आस- पास कोई नहीं, हों बुजुर्ग बीमार।।
घर आँगन सब स्वच्छ हों, रंगोली की धूम,
सब वाहन धुल के खड़े,खुशियां मिले अपार।।
नवल वस्त्र धारण करें, दीनन को दें दान,
त्याग करें अभिमान का,मिले सभी से प्यार।।
सँध्या की वेला तरुण, पूजो लछमी रूप,
नारायण हो साथ में, सुखी रहे परिवार।।
स्वरचित मौलिक।
पंकज शर्मा”तरुण”.
पीपलिया मंडी।
दीपोत्सव मंगलमय हो।हार्दिक शुभकामनाएं।