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15 May 2022 · 2 min read

दोहा छंद विधान ( दोहा छंद में )

दोहा में लय, समकल -विषमकल, दग्धाक्षर ,
जगण पर विचार , ( दोहा छंद में )

दोहा लिखना सीखिए , शारद माँ धर ध्यान |
तेरह ग्यारह ही नहीं , होता पूर्ण विधान ||

गेय‌ छंद दोहा लिखो , लय का रखिए ख्याल |
जहाँ कलन में मेल हो , बन जाती है ताल ||

चार चरण सब जानते , तेरह ग्यारह भार |
चूक कलन से चल उठे , दोहा पर तलवार ||

अष्टम नौवीं ले जहाँ , दो मात्रा का भार |
दोहा अटता है वहाँ , गाकर देखो यार ||

जगण जहाँ पर कर रहा , दोहे का आरंभ |
क्षति होना कुछ मानते , कहें टूटता दंभ ||

यदि देवों के नाम हों , जैसे नाम. गणेश |
जगण दोष सब दूर हों, ऐसे देव महेश ||

पचकल का प्रारंभ भी , लय‌ को जाता लील |
खुद गाकर ही देखिए , पता चलेगी ढील ||

अब कलन ( समकल- विषमकल )को समझिए ~

तीन-तीन-दो , से करें , पूरा अठकल एक |
जोड़ रगण “दो- एक -दो” , विषम चरण तब नेक ||

चार – चार का जोड़ भी , होता अठकल. मान |
विषम चरण में यति नगण , सुंदर देता तान ||
(रगण = 212 , नगण = 111)

विषम चरण यति जानिए , करे रगण से गान |
अथवा करता हो नगण , दोहा का उत्थान ||

यह लय देते है सदा , गुणी जनों का शोध |
खुद गाकर ही देखिए , हो जाएगा बोध ||

सम चरणों को जानिए , तीन – तीन- दो -तीन |
चार- चार सँग तीन से , ग्यारह लगे प्रवीन ||

‘विषम’ चरण के अंत में , रगण नगण दो लाल |
जो चाहो स्वीकारिए , पर ‘सम’ रखता ताल ||

षटकल का चरणांत भी , सम में करता खेद |
दोहा लय खोता यहाँ , लिखे ‘सुभाषा ‘ भेद ||

सम- सम से चौकल बने , त्रिकल त्रिकल हो साथ |
दोहा लय में नाचता फैला दोनों हाथ ||

~~~~~`~~
निम्न दो दोहो में पहला चरण गलत लिखा व उसे
सही करके तीसरे चरण में बलताया है कि इस
तरह लिखना सही होता है

दोहा लिखना सरल है , चरण बना यह दीन |
दोहा लिखना है सरल , चरण नहीं अब हीन ||

दोहा लिखे आप सभी , नहीं चरण तुक तान |
आप सभी दोहा लिखें , दिखे चरण में गान ||

भरपाई‌ मात्रा करें , माने दोहा आप |
गलत राह पर जा रहे , छोड़ कलन के माप ||
~~~~~

अब दग्धाक्षर प्रयोग पर ~

दग्धाक्षर न कीजिए , दोहा हो प्रारंभ |
कहता पिंगल ग्रंथ है , सभी विखरते दंभ ||

इनको‌ झ र भ ष जानिए , ह भी रहे समाय‌ |
पाँच वर्ण यह लघु सदा , निज हानी बतलाय ||

पाँच वर्ण यह दीर्घ हो , करिये खूब प्रयोग |
कहत सुभाषा आपसे , दूर तभी सब रोग ||

विशेष ~
दोहा में यदि कथ्य हो , तथ्य. युक्त संदेश |
अजर – अमर दोहा रहे , कोई हो परिवेश ||

तुकबंदी दोहा बना , नहीं तथ्य पर तूल |
ऐसे दोहे जानिए , होते केवल. भूल ||

उपसंहार

विनती हम सबसे करें , अधिक न जानें ज्ञान |
पर जो कुछ भी जानता , साँझा है श्रीमान ||🙏

दोहा में लिखकर. यहाँ , बतलाया जो सार |
मौसी मेरी ‌ शारदे , करती कृपा अपार ||

डिग्री रख दी ताक पर , सीधा नाम सुभाष |
लिखता रहता हूँ सदा , मन‌‌‌‌‌ में लिए प्रकाश ||

सुभाष सिंघई जतारा {टीकमगढ़) म०प्र०

Language: Hindi
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