Sahityapedia
Login
Create Account
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
Suryakant Dwivedi
47 Followers
Follow
Report Content
22 Dec 2022 · 1 min read
दोहा बेटी
बेटी कोमल फूल सी, है बगिया की शान
बसती उसके नेह में, बस बाबुल की जान।।
सूर्यकान्त द्विवेदी
Language:
Hindi
Tag:
दोहा
Like
Share
92 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
Books from Suryakant Dwivedi
View all
सूर्यांश
Surya Kant Dwivedi
You may also like:
थकान...!!
Ravi Betulwala
Finding someone to love us in such a way is rare,
पूर्वार्थ
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
पेपर लीक हो रहे ऐसे
Dhirendra Singh
सत्ता अपनी सुविधा अपनी खर्चा सिस्टम सब सरकारी।
*प्रणय प्रभात*
परिंदा
VINOD CHAUHAN
माँ दया तेरी जिस पर होती
Basant Bhagawan Roy
अगर मध्यस्थता हनुमान (परमार्थी) की हो तो बंदर (बाली)और दनुज
Sanjay ' शून्य'
मातृदिवस
Satish Srijan
* फूल खिले हैं *
surenderpal vaidya
पन्नें
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
गम तो है
Anil Mishra Prahari
वो सुहाने दिन
Aman Sinha
इक उम्र जो मैंने बड़ी सादगी भरी गुजारी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*सेवा सबकी ही करी, माँ ने जब तक जान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
धर्म और सिध्दांत
Santosh Shrivastava
..........अकेला ही.......
Naushaba Suriya
अफसोस मेरे दिल पे ये रहेगा उम्र भर ।
Phool gufran
3937.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"टुकड़ा आईने का"
Dr. Kishan tandon kranti
एक दिया बहुत है जलने के लिए
Sonam Puneet Dubey
सारे दुख दर्द होजाते है खाली,
Kanchan Alok Malu
दोस्त मेरी दुनियां
Dr. Rajeev Jain
जय माता दी -
Raju Gajbhiye
जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं
कवि रमेशराज
हैप्पी नाग पंचमी
Ranjeet kumar patre
रास्तों पर नुकीले पत्थर भी हैं
Atul "Krishn"
खवाब
Swami Ganganiya
वो अगर चाहे तो आगे भी निकल जाऊँगा
अंसार एटवी
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Loading...