Sahityapedia
Login
Create Account
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
Suryakant Dwivedi
46 Followers
Follow
Report this post
22 Dec 2022 · 1 min read
दोहा बेटी
बेटी कोमल फूल सी, है बगिया की शान
बसती उसके नेह में, बस बाबुल की जान।।
सूर्यकान्त द्विवेदी
Language:
Hindi
Tag:
दोहा
Like
Share
99 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
Books from Suryakant Dwivedi
View all
सूर्यांश
Surya Kant Dwivedi
You may also like:
ସେହି କୁକୁର
Otteri Selvakumar
हल्के किरदार अक्सर घाव गहरे दे जाते हैं।
अर्चना मुकेश मेहता
“शिक्षा के दीपक”
Yogendra Chaturwedi
आप इतना
Dr fauzia Naseem shad
सरिए से बनाई मोहक कलाकृतियां……..
Nasib Sabharwal
नंगा चालीसा [ रमेशराज ]
कवि रमेशराज
पागलपन
भरत कुमार सोलंकी
टेसू के वो फूल कविताएं बन गये ....
Kshma Urmila
आ चलें हम भी, इनके हम साथ रहें
gurudeenverma198
ग़ज़ल -1222 1222 122 मुफाईलुन मुफाईलुन फऊलुन
Neelam Sharma
3114.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अगर बदलने का अर्थ
Sonam Puneet Dubey
वक्त हालत कुछ भी ठीक नहीं है अभी।
Manoj Mahato
उस सावन के इंतजार में कितने पतझड़ बीत गए
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
*करते सौदा देश का, सत्ता से बस प्यार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मुश्किलों में उम्मीद यूँ मुस्कराती है
VINOD CHAUHAN
हर समय आप सब खुद में ही ना सिमटें,
Ajit Kumar "Karn"
बुंदेली चौकड़िया-पानी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मेरा साया ही
Atul "Krishn"
मेरे सब्र की इंतहां न ले !
ओसमणी साहू 'ओश'
..
*प्रणय*
* प्यार की बातें *
surenderpal vaidya
संवेदना सुप्त हैं
Namrata Sona
प्रभु श्री राम आयेंगे
Santosh kumar Miri
तेरी याद आती है
Akash Yadav
" दिल "
Dr. Kishan tandon kranti
ये साथ चलने के लिए निकले थे लोग कितने।
Phool gufran
हर-सम्त शोर है बरपा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ग़ज़ल
Shweta Soni
मजदूर
Preeti Sharma Aseem
Loading...