Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Nov 2024 · 1 min read

दोहा पंचक. . . . . हार

दोहा पंचक. . . . . हार

जीवन में हर हार का, अर्थ नहीं है हार ।
कभी – कभी तो जीत का, हार बने आधार ।।

कभी – कभी इंसान जब, खुद से जाता हार ।
करता अपने भाग्य से, शिकवे कई हजार ।।

हार गर्भ में जीत है, जीत गर्भ में हार ।
हार-जीत में ही छुपा, जीवन का शृंगार ।।

क्षणिक हार पर व्यर्थ है, करना करुण विलाप ।
नहीं जरूरी जीत से, मिटें मौन संताप ।।

हार कभी होती नहीं, दम्भी को स्वीकार ।
अनुदिन उसके हृदय में, जीवित हो प्रतिकार ।।

सुशील सरना / 28-11-24

42 Views

You may also like these posts

विनती
विनती
Saraswati Bajpai
विज्ञानमय हो तन बदन
विज्ञानमय हो तन बदन
Anil Kumar Mishra
Problem is a constant part of life. If you solve one problem
Problem is a constant part of life. If you solve one problem
Ritesh Deo
हम मुस्कुराते हैं...
हम मुस्कुराते हैं...
हिमांशु Kulshrestha
उड़ने दो
उड़ने दो
Seema gupta,Alwar
वो ठोकर से गिराना चाहता है
वो ठोकर से गिराना चाहता है
अंसार एटवी
"विद्यार्थी जीवन"
ओसमणी साहू 'ओश'
उसकी आंखों में मैंने मोहब्बत देखी है,
उसकी आंखों में मैंने मोहब्बत देखी है,
Jyoti Roshni
बड़ी अजीब है दुनिया साहब
बड़ी अजीब है दुनिया साहब
Sushil chauhan
जिंदगी का वो दौर है
जिंदगी का वो दौर है
Ansh
"सवाल"
Dr. Kishan tandon kranti
गोपियों का विरह– प्रेम गीत
गोपियों का विरह– प्रेम गीत
Abhishek Soni
कविता
कविता
Rambali Mishra
तुम्हें सोचना है जो सोचो
तुम्हें सोचना है जो सोचो
singh kunwar sarvendra vikram
उनसे कहना ज़रा दरवाजे को बंद रखा करें ।
उनसे कहना ज़रा दरवाजे को बंद रखा करें ।
Phool gufran
एक शाम उसके नाम
एक शाम उसके नाम
Neeraj Agarwal
#तेवरी- (देसी ग़ज़ल)-
#तेवरी- (देसी ग़ज़ल)-
*प्रणय*
डरना क्या है?
डरना क्या है?
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
7. In Memoriam ( An Elegy )
7. In Memoriam ( An Elegy )
Ahtesham Ahmad
हार जीत
हार जीत
Sudhir srivastava
*दीपक (बाल कविता)*
*दीपक (बाल कविता)*
Ravi Prakash
दिन सुहाने थे बचपन के पीछे छोड़ आए
दिन सुहाने थे बचपन के पीछे छोड़ आए
इंजी. संजय श्रीवास्तव
हमेशा का
हमेशा का
Dr fauzia Naseem shad
मेरा विचार ही व्यक्तित्व है..
मेरा विचार ही व्यक्तित्व है..
Jp yathesht
जब कभी हमको सोचते होंगे ।
जब कभी हमको सोचते होंगे ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
कुंडलिया. . . .
कुंडलिया. . . .
sushil sarna
कब तक अंधेरा रहेगा
कब तक अंधेरा रहेगा
Vaishaligoel
"यहाँ चंद लोगों के लिए लिख रहा हूँ मैं ll
पूर्वार्थ
3524.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3524.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
मेरे हिस्से का प्यार भी तुझे ही मिले,
मेरे हिस्से का प्यार भी तुझे ही मिले,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...