दोहा पंचक. . . प्रयास
दोहा पंचक. . . प्रयास
निश्चित मन का टूटना, जब होता अवसाद ।
विषम काल को जीत कर, चखें जीत का स्वाद ।।
रुके न पहिया वक्त का, यह चलता निर्बाध ।
सत्कर्मो से लक्ष्य को, साध सके तो साध ।।
अच्छे दिन आते नहीं, अक्सर बिना प्रयास ।
बिना कर्म के कब मिटे, जीवन के संत्रास ।।
लाली देती भोर की, जीवन को वरदान ।
उचित प्रयासों से सदा, कर्म रहे गतिमान ।।
जीवन मेें हर बात के , बिगड़ गए अनुपात ।
मन वांछित कैसे भला , होंगे मधुर प्रभात ।।
सुशील सरना / 17-10-24