दोहा त्रयी . . . .
दोहा त्रयी. . . .
नैनों की मनुहार को, नैन करें स्वीकार ।
मौन आग्रह शीत में, कौन करे इंकार ।।
देह काँपती शीत में, मुख से निकले भाप ।
अधरों के अभिसार पर, अधर लगाते छाप ।।
वर्तमान सन्दर्भ में, न्यून हुए परिधान ।
पीढ़ी समझे आज की, इसको अपनी शान ।।
सुशील सरना / 18-12-23