दोहा त्रयी. .
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दोहा त्रयी. .
मैखाने में जाम से, टकराये जब जाम ।
जन्नत जैसी हो गई, मस्तानों की शाम ।।
छम- छम करती बज्म में, साकी लायी जाम ।
डूबे यूँ आगोश में , शाम हुई बदनाम ।।
दो लफ्जों की बात का, कैसे हो इजहार ।
कब समझेगी वो भला, नजरों के इसरार ।।
सुशील सरना / 7-5-24