दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
पतझड़ अब ओझल हुआ , नव संवत् में यार ।
नव पल्लव हर डाल पर, करने लगे शृंगार ।।
कोमल- कोमल कोपलें, छू कर चले बयार ।
सूखी शाखों पर हुआ, नव जीवन संचार ।।
अमलतास देने लगा, पीत पुष्प की गंध ।।
ग्रीष्म भोर शीतल लगे, अजब सृष्टि अनुबंध ।।
सुशील सरना / 9-4-24