दोहा त्रयी. . . . . भाव
दोहा त्रयी. . . . . भाव
लिखने को लिखते सभी , मन कल्पित हर भाव।
गीला कागज को करें, सुधि सागर के घाव ।।
सुधि सागर के तीर पर, बड़े मिलन की प्यास ।
बेकल मन की कल्पना, भोगे ज्योँ बनवास ।।
सुधियों में घर कर गई, मौन समर्पण बात ।
प्यासे नैनों से बहें , खारे नीर प्रपात ।।
सुशील सरना / 3-10-24