दोहावली ओम की
स्वर सम्राज्ञी लताजी , कर गईं महाप्रयाण ।
हृदयस्पर्शी गीत सुन , लौट आते थे प्राण ।।
सुर की ऐसी रागिनी , नहीं अब इस संसार ।
लता दीदी के बिना , लग रहा जगत असार ।।
सुरतान की ऐसी कला , कोई दूसरा ना। होय ।
सुन मीठी सुरतान को , होय मगन सब कोय ।।
ओमप्रकाश भारती ओम्