दोस्त
मुक्तक
अपनापन भरपूर दे,सनेह से दे सींच।
दिलदारी भरपूर हो,कठिनाई के बीच।
उलाहना ना दे कभी,हरे यार का दर्द।
मिले तो आतुरता से,बहियों में ले भींच।
मुक्तक
अपनापन भरपूर दे,सनेह से दे सींच।
दिलदारी भरपूर हो,कठिनाई के बीच।
उलाहना ना दे कभी,हरे यार का दर्द।
मिले तो आतुरता से,बहियों में ले भींच।