दोस्त
मिल जाते हैं रिश्ते नाते
लेकिन खुद हम दोस्त बनाते
कितनी भी हो रिश्तेदारी
पड़े दोस्ती सब पर भारी
जहां मोड़ मुँह लेते रिश्ते
दोस्त वहां पर साथ निभाते
स्वार्थ भरी ये दुनिया सारी
इसको जलने की बीमारी
मगर जीतते वही यहाँ पर
जिन्हें दोस्त सच्चे मिल जाते
यहाँ दोस्ती करना ऐसी
जो हो कृष्ण सुदामा जैसी
भूल अमीरी और गरीबी
जिसमे दिल से दिल जुड़ जाते
21-05-2018
डॉ अर्चना गुप्ता