मित्र दिवस
दोस्ती का कैसे
कर दे एक दिन मुकर्रर
एक दिन में तो दोस्त
बनते नहीं ।
पहले दोस्ती का
छोटा सा पौधा
दिलों में लगाना
होता हैं।
रोज प्यार के
पानी से सींचना
होता है।
सालों बचाना होता है
नफ़रतो की आँधी और
खुदगर्जी के तूफान से
तब जा कर खड़ा होता
है दोस्ती का दरख्त ।।
दीमक की तरह खा
जाते हैँ दोस्ती
से जलने वाले,
उन पर हर पहर
नजर रखने वाले।
वैसे तो दुश्मनी निभानी
हो जिसको वो भी
बनता है पहले दोस्त ।
कट्टर दुश्मन तो
हो जाते हैं अक्सर
बहुत पक्के दोस्त।।
प्यार की शुरुआत
में भी बनते हैं
पहले दोस्त ।
प्यार परवान
ना चढ़ा तो
रह जाते है
बस दोस्त।।
दोस्ती से इस दुनियां
में कोई बचा नहीं,
दोस्तों से कुछ
छिपा भी नहीं ।
होते जरूर हैं
थोड़े से कमीने,
पर हर कुछ
हरक़त करते है
बुझे यार के दिल
को बहलाने को !!
सलिल शमशेरी “सलिल”