दोस्त दोस्त…….
वो दोस्त दोस्त करते रहे
हम उनकी खुशीयों के वास्ते मरते रहे
काश दोस्ती का सिलसिला यूँही चलता
ए मेरे दोस्त तू कभी न मुझसे बिछडता
वक्त की धार को शायद मोड़ पाता
गिले शिकवे दूर कर तुझसे फिर
अपने दिल की तार जोड़ पाता
क्या है तु मेरे लिए बता पाता
दिल मे हैं जो जज्बात उनको कैसे दिखाता
बचपन की वो याद
एक थाली मे खाना साथ
वो अहल्ड़ पन वो मस्ती
तेरी मेरी बातों की किश्ती
दूर तलक लेके जाती थी
वापस बुलाने के लिए माँ अवाज लगाती थी
वो भी क्या गजब के दिन थे
हम एक दूजे के लिए भाई से कम न थे
आज तुझे मै बदला बदला नजर आता हूँ
कहता है कि बातों से अपनी परेशाँ कर जाता हूँ
मतलबी हूँ मै तुझे हर पल ये जताता हूँ
तो हाँ भाई हूँ मै मतलबी
बेशक रख तू मुझसे दूरी
क्योंकि नही समझेगा तू मेरी मजबूरी
लेकिन दोस्ती मेरी तेरे बिन रहेगी अधूरी…………
#निखिल_कुमार_अंजान……