Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2022 · 2 min read

दोस्त जीवन में एक सच्चा दोस्त ज़रूर कमाना….

दोस्त जीवन में एक सच्चा दोस्त ज़रूर कमाना….सच्चा दोस्त- दोस्त ही होता हैं.दो दोस्त रोहित और दिव्य आपस में १०वी कक्षा तक कब पहुँच गए पता ही नहीं चला, दिव्य ने १०वी की परीक्षा प्रथम श्रैणी में उत्तीर्ण की दिव्य की बहन सुजाता भी पढ़ाई में बहुत होशियार थीं. रोहित अपने माता पिता का इकलौता बेटा था और पढ़ाई में सामान्य था, रोहित दिव्य की बहन सुजाता को अपनी बहन और सुजाता रक्षा बंधन पर रोहित को राखी बांधती थी एक दिन अचानक सब कुछ बदल गया. दिव्य के पिता एक छोटी सी दुकान चलाते थे, एक दिन उनको लकवा मार गया, जैसे पहाड़ ही टूट पड़ा हो दिव्य को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोडनी पड़ी पापा की दुकान पर बैठ कर बस ये ही सोचता रहता था अपनी बहन सुजाता को बहुत पढ़ाना हैं.समय गुजरता रहा रोहित के पापा की कई कम्पनी व एक अस्पताल के मालिक थे. व्यस्त होने के कारण दिव्य व रोहित का मिलना भी बंद हो गया था. एक दिन अचानक दिव्य के पापा की तबियत ज़्यादा ख़राब हो गई और दो दिन बाद उनकी मौत हो गई … स्थिति बड़ी नाजुक थी देने के लिए पैसे नहीं थे. बहस हो रही थी रोहित उधर से निकले जा रहे थे, दिव्य को नहीं पता था ये रोहित का ही अस्पताल हैं, रोहित दिव्य को देख कर उसके पास पहुँच कर पूछते हैं दिव्य क्या हुआ … दिव्य रोता हुआ रोहित से बोला मेरा सब कुछ ख़त्म हो गया पापा हमें छोड़ कर चले गए और हमारे पास देने के लिए भी पैसे नहीं हैं … दिव्य तुम चिंता मत करो ये तुम्हारा ही अस्पताल हैं मैंने सारी व्यवस्था कर दी हैं .रोहित दिव्य के घर जाता हैं और दिव्य की स्तिथि देख कर बड़ा ही दुःख हुआ … दिव्य मेरा सच्चा दोस्त हैं अपने माता पिता से बात करता हैं मम्मी दिव्य की हालात ठीक नहीं हैं क्यूँ न हम उसकी मदद करे हाँ बेटा ज़रूर मदद करो दोस्त दोस्त के काम नहीं आया फिर दोस्त किस बात का … ठीक हैं मम्मी पापा कल रक्षा बंधन भी हैं मुझे सुजाता राखी बाँधती हैं आप भी मेरे साथ चलना. रोहित जैसे ही दिव्य से मिला गले से लगा लिया और बहन सुजाता से बोला आज रक्षा बंधन हैं राखी नहीं बांधेगी हाँ हाँ भैया क्यूँ नहीं…जैसे ही राखी बाँधती है रोहित सुजाता को एक लिफ़ाफ़ा देकर बोलता हैं ये लिफ़ाफ़ा तब खोलना जब हम चले जाए . लिफ़ाफ़ा खोला तो लिखा था … एक बहन को अपने भाई की तरफ़ से ….. तुझे और मेरे प्रिय दोस्त दिव्य के लिए …… मानो उन्हें दुनिया का सब कुछ मिल गया ….. दोस्तों सच्चा दोस्त दोस्त ही होता हैं.

Language: Hindi
1 Like · 563 Views

You may also like these posts

इन रेत के टुकडों से तुम दिल बना ना पाये।
इन रेत के टुकडों से तुम दिल बना ना पाये।
Phool gufran
2909.*पूर्णिका*
2909.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मां की ममता
मां की ममता
Shutisha Rajput
स्वप्न
स्वप्न
NAVNEET SINGH
संस्कृत के आँचल की बेटी
संस्कृत के आँचल की बेटी
Er.Navaneet R Shandily
मासी मम्मा
मासी मम्मा
Shakuntla Shaku
परीलोक से आई हो 🙏
परीलोक से आई हो 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मुरधर मांय रैहवणौ
मुरधर मांय रैहवणौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मैं भागीरथ हो जाऊ ,
मैं भागीरथ हो जाऊ ,
Kailash singh
बासठ वर्ष जी चुका
बासठ वर्ष जी चुका
महेश चन्द्र त्रिपाठी
हरियाली तीज
हरियाली तीज
VINOD CHAUHAN
घनाक्षरी
घनाक्षरी
अवध किशोर 'अवधू'
अंतर
अंतर
Dr. Mahesh Kumawat
कागज़ की नाव सी, न हो जिन्दगी तेरी
कागज़ की नाव सी, न हो जिन्दगी तेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*धरती पर सब हों सुखी, सारे जन धनवान (कुंडलिया)*
*धरती पर सब हों सुखी, सारे जन धनवान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
सूली का दर्द बेहतर
सूली का दर्द बेहतर
Atul "Krishn"
*खत आखरी उसका जलाना पड़ा मुझे*
*खत आखरी उसका जलाना पड़ा मुझे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हो सके तो तुम स्वयं को गीत का अभिप्राय करना।
हो सके तो तुम स्वयं को गीत का अभिप्राय करना।
दीपक झा रुद्रा
"यायावरी" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
मित्र
मित्र
Rambali Mishra
कभी कभी
कभी कभी
surenderpal vaidya
और भी कितने...
और भी कितने...
ललकार भारद्वाज
परिवर्तन ही स्थिर है
परिवर्तन ही स्थिर है
Abhishek Paswan
श्रम दिवस
श्रम दिवस
SATPAL CHAUHAN
सो
सो
*प्रणय*
बात चली है
बात चली है
Ashok deep
यक्षिणी - 2
यक्षिणी - 2
Dr MusafiR BaithA
प्रेम कई रास्तों से आ सकता था ,
प्रेम कई रास्तों से आ सकता था ,
पूर्वार्थ
हां....वो बदल गया
हां....वो बदल गया
Neeraj Agarwal
ईश्वर
ईश्वर
Shyam Sundar Subramanian
Loading...