दोस्ती : कल और आज
यादों से भरी हुई दोस्ती
अब सिर्फ यादों में ही रह गई।
दुनिया जहान की बातों से भरी दोस्ती
अब सिर्फ का काम की बातों में रह गई।
सबके जन्मदिन साथ मनाने वाली दोस्ती
अब सिर्फ जन्मदिन की बधाई तक रह गई।
पूरा दिन साथ घूमने वाली दोस्ती
अब सिर्फ पल भर की कॉल में सिमट गई।
ज़िंदगी की इस दौड़ में
दोस्ती शायद कहीं पीछे छूट गई।
– श्रीयांश गुप्ता