दोस्तों संग मौज मस्ती
*******दोस्तो संग मौज मस्ती*********
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दोस्तों संग होती है खूब बहुत मौज मस्ती
दोस्तों की दोस्ती से है खूब महफिलें सजती
दो चार पंछी बैठते हैं जब एक डाल पर
कलरव में झूलते – झूमते डाली है झुकती
कभी कहीं भी मिल जाती मित्रों की मंडली
कहकहों और ठहाकों से अंजुमन है गुंजती
होतें हसीन पल जब जिगरी यार हैं मिलते
बीती बातें याद कर हसीन शामें बीतती
कहीं सुदूर खो जाए अगर बचपन के साथी
पच्चपन में बचपन की यारों यादें टीसती
ख्यालत में आती शरारतें और खड़मस्तियाँ
हो जाती नम आँखें, पलकें आँसू से भीगती
मनसीरत किसी का कभी भी यार ना बिछड़े
यारों संग बहारें जिन्दगी मुश्किल में बीतती
दोस्तों संग होती है खूब बहुत मौज मस्ती
दोस्तों की दोस्ती से हैं खूब महफिलें सजती
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)