दोस्ती…
तेरी दोस्ती का कुछ इस कदर चढ़ा फितूर है,
ये दिल गुलाम तेरा तू इस दिल का हुज़ूर है,
सैलाब आये नज़रों में फ़िर भी तुझे देख मुस्कुरा देती हुँ
तेरी दोस्ती में कोई जादू तो ज़रूर है,
मैं तुझमे ख़ुद को देखूँ तेरी आंखें मेरा आईना,
आज आईना खामोश है क्युकि तू मुझसे दूर है,
मेरा हर मसला तू पल भर में सुलझा देती है,
हर ख्वाहिश पूरा करने वाली तू जन्नत की हूर है,
सलामत रहे ये दोस्ताना जिंदगी के हर मोड़ पर,
तू मेरी है मुझे इस बात पर गुरुर है।
✍️वैष्णवी गुप्ता (Vaishu)
कौशाम्बी