दोस्ती
राम और श्याम गांव के दो अच्छे दोस्त थे। वे दोनों हर रोज सुबह स्कूल जाने से पहले मैदान में खेलते थे। राम क्रिकेट में महारथ हासिल करना चाहते थे, और श्याम भी क्रिकेट में महारथ हासिल करना चाहता था। एक दिन, स्कूल में स्पोर्ट्स डे का आयोजन हुआ। राम और श्याम को क्रिकेट में कप्तान बनाया गया। वे दोनों अपनी-अपनी टीम का चयन कर मैदान पर पहुंचे।
क्रिकेट में मैच की पहली पारी हुई। राम की टीम को पहले बल्लेबाजी करनी पड़ी। राम की टीम के सभी खिलाड़ी समर्थ होने के कारण, उन्होंने 20 ओवर में 150 रन बनाये जो काफी मुश्किल लक्ष्य लग रहा था।
अब श्याम के टीम की बारी थी जिसकी टीम को 151 रनों का पीछा करना था। 20 ओवर में 150 रन चेज करना मुश्किल होता है, लेकिन 20 ओवर में 151 रन चेज करना विपक्षी टीम की सशक्त गेंदबाजी को देखते हुए और भी मुश्किल और असंभव सा मालुम हो रहा था। श्याम की टीम का शुरुआती स्कोर 50/5 रहा, क्योंकि राम के टीम की तरफ से अच्छी गेंदबाज़ी होने के कारण पहले पाँच ओवर में ही पांच विकेट झटक लिए इसी वजह से अब 15 ओवर में 100 रन चेज करना बहुत ही मुश्किल लग रहा था।
श्याम अपनी टीम को इस स्थिति में देखकर काफी नाराज और परेशान नज़र आ रहा था लेकिन अपने आपको वह शांत रखने की कोशिश कर रहा था, इसी बीच उसकी टीम के दो और बल्लेबाज आउट हो गए और श्याम खुद सांतवे नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरा। वह हार मानने को तैयार नहीं था और उसने संभलकर पूरे मैदान पर छक्के और चौके की बरसात कर दी और उसने सिर्फ 20 गेंदों में 60 रन बनाए और अपनी टीम को मैच जीता दिया।
भीड़ ने उनके और उनकी टीम के लिए तालियां बजाईं। आज की मैच का हीरो श्याम साबित हुआ जिसने अकेले दम पर मैच का रुख पलट दिया। जिसको देखो सभी उसके खेल की तारीफ़ कर रहे थे इसी वजह से मैनेजमेंट ने उसे मैन ऑफ़ द मैच घोषित किया। लेकिन उसका दोस्त राम निराश था फिर भी उसे अपने मित्र पर गर्व भी था। राम ने श्याम को गले लगाया और उसके शानदार प्रदर्शन के लिए उसे गले लगाकर बधाई दी।
वे दोनों मुस्कुराए और साथ में पवेलियन की और लौट गए। उन्होंने सच्ची खेल भावना और मित्रता का परिचय दिया था। उन्होंने साबित कर दिया था कि वे सिर्फ दोस्त नहीं बल्कि सच्चे खिलाड़ी भी हैं। इसी बात पर पूरा स्टेडियम इन दोनों के लिए खड़े होकर तालियाँ बजा रहा था और वे दोनों दोस्त मुस्करा रहे थे।
©✍️ शशि धर कुमार