दोस्ती
दोस्ती
दोस्त की पहचान दोस्ती करा ही देती है,
विद्यालय वाली दोस्ती अंत तक निभा ही देती है।
सुख दुख और पीड़ा में जो काम आए वह है दोस्त,
एक दूसरे की समझे भावना असली वह है दोस्त।
पढ़ने में और पढ़ाने में जो काम आए वह दोस्त,
खेलन और खेलाने में जो काम आए वह है दोस्त।
मात-पिता भी बच्चों के आजकल होते हैं दोस्त,
अध्यापक भी शिक्षा देकर बच्चों के बन रहे हैं दोस्त।
एक भाई और एक बहन भी आपस में अक्सर है दोस्त,
लड़ते झगड़ते फिर मिलते निभाते पूरी रहते हैं दोस्त।
दोस्त की पहचान उनके परिवार से ही हो जाती है दोस्त,
उनके माता-पिता संस्कार दें जैसे वैसे बन जाते हैं दोस्त।
संस्कार शिक्षा समर्पण सत्कार यह सब होने चाहिए दोस्त,
अनुशासन अनुपालन यह भी शब्द होने चाहिए दोस्त।
प्रेम और इश्क और मोहब्बत यह भी है एक दोस्त,
जिसको लग जाए जिसको हो जाए वह भी है एक दोस्त।
खान मनजीत के भी जो काम आते मौके पर दोस्त,
चिंता नहीं रहती अगर पत्नी सबसे अच्छी है दोस्त।
खान मनजीत भावड़िया मजीद
गांव भावड़ तहसील गोहाना सोनीपत हरियाणा