दोस्ती
मानते हैं की हम दोस्त पैसे से गरीब हैं
वो निक्कमे परिवार से ज्यादा करीब हैं
हर बात का गलत मतलब निकालते हैं
हाँ वो गाली देना जैसे कोई तहज़ीब है
किसी के तो होते होंगे समझदार दोस्त
अपना गधों की फोज वाला नसीब है
हर दर्द में भी मुस्कुराकर हसा देते हैं
न जाने दोस्तों में कौन सी तरकीब है
इतिहास गढ़ जाते हैं दोस्ती में ‘नादान’
पक्की है दोस्ती तो आप खुशनसीब हैं
गौरव उनियाल ‘नादान’
देवभूमी उत्तराखंड