“दोस्ती के लम्हे”
प्रेम और विश्वास से जुड़ी है दोस्ती,
रिश्तों में एक खास रिश्ता है दोस्ती।
जीवन मे जो रस घोल दे दोस्ती,
जीवन का मधुर एहसास है दोस्ती।
रोते को जो है हंसा दे वो प्यार है दोस्ती,
गिरते को जो उठा दे वो अंदाज है दोस्ती।
गैर जो अपना बन जाये वो जान है दोस्ती,
पूरी हो जाये जो हरदम वो आस है दोस्ती।
जीवन मे जो संगीत भर दे वो साज है दोस्ती,
मेरे जीवन की नाज हैं दोस्ती।
दिल दुखने लगे जब बाजार में,
जीना सिखला दे वो अंदाज है दोस्ती।
गलती होने पर भी पर्दा डालती है दोस्ती,
बेसुमार प्यार में नादान है दोस्ती।
साथ जब चलें तो शान है दोस्ती,
जिनका हमारे जीवन मे योगदान है दोस्ती।
मुश्किलों में कोई न हो तो साथ हो दोस्ती,
हर एक बातों पर विचार है दोस्ती।
मेरी आंखों में जो अश्क आये साथ रोते हैं,
मेरे हर दर्द को सीने में छुपा लेती है दोस्ती।
अजनबी सख्स जब यार बन जाता है,
खूबियों से नही मेरी खामियों से भी साथ होती है दोस्ती।
आज गुजरा हुआ वो वक़्त याद आता है,
आज मेरा प्यारा दोस्त बहुत याद आता है।
दोस्ती दो दिलो को जोड़ती है,
बड़े बडे दुखों के असर को तोड़ती है।
दोस्ती के रिश्ते का कोई मोल नही होता,
निभाने में तोली नही जाती दोस्ती।
दोस्तों दोस्त को खोना नही तुम,
जीवन भर दिल मे बसा कर रखना दोस्ती।
दोस्ती के लम्हे जब याद आते हैं,
मन व्यथित होता है, आंख भर आते हैं।
लेखिका:- एकता श्रीवास्तव।
प्रयागराज✍️