दोस्ती की मिटती ही नहीं
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क्या है बात दोस्ती की मिटती ही नहीं,
हर वो याद दोस्ती की मिटती ही नही।
कर लो लाख कोशिश मिलती है कहाँ,
यह बुनियाद दोस्ती की मिटती ही नही।
रंगों से भरी दुनिया यारों का नाम है,
रंगीं रात दोस्ती की मिटती ही नही।
रग-रग में बसी खुशबू फूलों सी तरह,
जिंदा जान दोस्ती की मिटती ही नही।
दोस्तो साथ मस्ती कोई सानी नहीं,
फैली शान दोस्ती की मिटती ही नही।
सारे राग है शामिल दोस्ताना बयां,
बजती तान दोस्ती की मिटती ही नहीं।
मनसीरत अकेला कोई साथी नहीं,
हस्ती जात दोस्ती की मिटती ही नहीं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)