दोस्ती (काव्य)
दोस्ती कड़वाहट से प्रारंभ हो
तो चलती है अंत तक,
लेकिन दोस्ती किसी मुनाफे से प्रारंभ हो
तो चलती है न अंत तक।
दोस्ती एक अनमोल रत्न है,
जिसे न तोल सके कोई धन,
सच्चा मित्र जिसके पास है,
दौलत की भरमार उसके साथ है।
प्रेम ,त्याग,और बलिदान के बंधन का,
एक अटूट विश्वास है दोस्ती,
दुनिया के सभी संबंधों में,
सबसे अनमोल है दोस्ती।
भटके जब भी दोस्त बुराई के अंधकार में,
खीच लाता है सच्चा मित्र उसे अच्छाई के प्रकाश में,
छोड़ देता है जग सारा जब संकट भरी राहों में,
सच्चा मित्र साथ निभाता है तब जिंदगी के राहों में।
सच्ची दोस्ती को वक्त आजमाता है हर समय ,
वक्त की हर परीक्षा में उतीर्ण होना ही
दोस्ती की पहचान है,
दुनिया की किसी प्रसिद्धि की न जिसे अभिलाषा है,
सच्चा दोस्त रखने वाला सबसे प्रतिभाशाली है।
कभी भी दोस्ती ऊँच-निच,
अमीरी-गरीबी,जाति-पात,
देखकर नही की जाती,
दोस्ती तो गुण-विचार,
आदर्श-व्यवहार, बोल-चाल,
देखकर की जाती है।
लेखक :- उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार