दोस्ती करो तो चाय सी
जीवन की उलझनों से
बाहर निकलकर
एक कप गर्मागर्म चाय
पीते हैं
इसकी शक्कर में
घुलते हैं
इसके रस को चखते हैं और
थोड़ा सा तरोताजा होते हैं
थोड़ा आहिस्ता आहिस्ता
सिप सिप करके
इसे गले से नीचे
उतारेंगे
किसी के बारे में
उस समय कुछ नहीं
सोचेंगे
न दोस्तों के बारे में और
न ही दुश्मनों के
मेरी तो इस वक्त की
साथी
मेरी चाय
न मैं इसकी दुश्मन
न यह मेरी दुश्मन
दोस्ती करो तो चाय सी
जो एक बार जो
मन को भा जाये तो
कभी दिल से उतरकर कहीं न
जाये।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001