दोस्ती और दोस्त
जीवन का अति महत्त्वपूर्ण आधार है दोस्त।
भव सागर पार करने की, पतवार है दोस्त ।।
यूँ तो रिश्ते-नाते, बहुत हैं इस दुनिया में।
स्कूल और कॉलेज का, संसार है दोस्त ॥
पढ़ाई लिखाई, काम काज तो टेंशन वाले।
कभी अवकाश तो कभी रविवार है दोस्त ।।
कोई भी दर्दों गम, हमको छू नहीं सकता।
हरदम, हरपल सुरक्षा की दीवार है दोस्त ।।
कभी गलाकर कभी जलाकर निखारता है।
कभी लुहार है, तो कभी सुनार है दोस्त ।।
घर के अंदर माता-पिता, ईश्वर के समान ।
घर के बाहर, ईश्वर का अवतार है दोस्त ।।
आपकी खुशी में परेशान होता है जमाना।
पतझड़ के मौसम में भी बहार है दोस्त ।।
सफलताओं के मुकाम पर, भूल न जाना।
सुदामा बनके तुम्हारे साथ तुषार है दोस्त ।।
सोना-चांदी के दौर में, क्या तोहफा दूं तुझे।
मेरी लघु कविता ही, बस उपहार है दोस्त ।।