दोस्ती आज हक़ीक़त में अदावत कोई
दोस्ती आज हक़ीक़त में अदावत कोई
खेलते हैं वो मुहब्बत में सियासत कोई
ये मुक़द्दर है तेरे दिल में न चाहत कोई
ऐ सनम तुझ से गिला है न शिकायत कोई
है ख़जाना न बड़ा प्यार से इस दुनिया में
जीत पाया न ख़जाने से मुहब्बत कोई
चीज़ बिकती हैं सभी प्यार नहीं बिकता है
जानता प्यार की दुनिया में न क़ीमत कोई
जीत की चाह ज़माने में सभी करते हैं
हारने की भी भला किसमें है हिम्मत कोई
आ के पढ़ ले वो ज़रा आज मेरी आँखों में
प्यार की इनमें लिखी है जो इबारत कोई
नींव रिश्तों की भरोसा ही हुआ करता है
नींव कमज़ोर पे होती न इमारत कोई
वो जुदा आज हुये आज परेशां दिल है
जिस्म करता ही नहीं आज हरारत कोई
मतलबी लोग परेशान किया करते हैं
सबने ‘आनन्द’ की समझी है न हालत कोई
– डॉ आनन्द किशोर