दोलत – शोरत कर रहे, हम सब दिनों – रात।
दोलत – शोरत कर रहे, हम सब दिनों – रात।
सिकंदर दुनियाँ जीतता, गया व खाली हाथ।
दया – धर्म करते रहो, अपने दोनों हाथ।
अंत समय आयेगा, यही हमारे साथ।।
धन – छुट्टे काया जलती, भाई – बन्दु के हाथ।
पंछी अकेला उड़ता, दान – पुण्य ले साथ।।
लीलाधर चौबिसा (अनिल)
चित्तौड़गढ़ 9829246588