दोगला व्यवहार …?
📖✒️जीवन की पाठशाला 📙🖋️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जिंदगी में कई बार ऐसा मुकाम भी आता है जहाँ उन लोगों के पास भी आपसे बात तक करने का वक़्त नहीं रहता जो कल तक कहा करते थे की अगर दिन में एक बार भी आपकी आवाज़ भी सुन लें तो दिन पॉजिटिव हो जाता है…,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की कई बार हम मंजिल तक ये सोच कर जाते हैं की आज उससे अपना दर्द साझा करेंगें ,उनके कन्धों पर सिर रख कर दो आंसू बहायेंगें लेकिन वहां जाकर पता चलता है की उनके पास तो ना आपके साथ बैठने का समय है -ना ही उन्हें आपकी झूटी हंसी और दर्द का अहसास है ,उन्होंने तो ये पूछने तक की जहमत नहीं उठाई की क्या हुआ आज चेहरे पर ये उदासी -खामोहि के बादल क्यों …फिर एक सदाबहार पुराने गीत की पंक्तियाँ याद आती हैं की …चल अकेला …चल अकेला ..तेरा मेला पीछे छूटा राही …चल अकेला ….,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की हम भी कैसे दोगले समाज का हिस्सा हैं जहाँ औरत हर माह तीन दिन की तकलीफ बर्दाश्त कर 5-7 दिन मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती -अपवित्र मानी जाती है लेकिन उसी औरत की कोख में ९ माह गुजार कर बाहर आने वाला शिशु पवित्र माना जाता है ,औरत को 40-45 दिन आराम के नाम पर अलग रखा जाता है और उस शिशु को सब सिर -माथे -गोद में उठाये फिरते हैं …,कैसे नियम ..कैसा दोगला व्यवहार …?
आखिर में एक ही बात समझ आई की कुछ रिश्ते सुबह शाम केवल लड़ने झगड़ने में -कमियां निकालने -तानेबाजी में अपना समय व्यतीत करते हैं और मजे की बात ये की शिकायत भी ऐसी ..की हमारी तो बात ही नहीं होती …वाह रे जिंदगी …
Affirmations:-
21.मैं अपने बच्चे के साथ खुलकर बात करता हूँ…
22.मैं सब कुछ स्वेच्छा से करता हूँ…
23.अपने अंदर प्रेम की धारा को प्रवाहित होने देता हूँ…
24.आज का यह दिन संपूर्णता का दिन है…
25.मैं एक शुद्ध आत्मा हूँ…
बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ….सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ….!
🙏सुप्रभात 🌹
स्वरचित एवं स्वमौलिक
आपका दिन शुभ हो
विकास शर्मा'”शिवाया”
🔱जयपुर -राजस्थान 🔱