देह – नौका पर भार नहीं है (भक्ति-गीत)
देह-नौका पर भार नहीं है (भक्ति-गीत )
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साँस सदा पतवार ,देह- नौका पर भार नहीं है
(1)
प्रभु का है वरदान,साँस जो सहज रूप से
आती
तन के भीतर मस्त पवन हर कोने में भर जाती
साँसे गाना गाती हैं , साँसे संगीत सुनातीं
साँसे आशाओं के स्वर जीवन में लेकर आतीं
साँसे हैं आह्लाद , अर्थ इनका बीमार नहीं है
साँस सदा पतवार देह नौका पर भार नहीं है
(2)
साँसें वह जो जीवन में ले नई चेतना आएँ
साँसें वह जीवन में जिनसे नई उमंगे छाएँ
साँसों का है खेल जिंदगी में नव-पौरूष भरना
कर्मवीर साँसें कहतीं तन निष्क्रिय कभी न करना
बिना शुद्ध साँसों के जीवन का उद्धार नहीं है
साँस सदा पतवार देह – नौका पर भार नहीं है
(3)
बोझिल साँसें हुईं समझ लो ,जीवन है अब ढोना
साँसों में उत्साह नहीं है ,मतलब मुर्दा होना
बैठी साँसें ,रूकती साँसें, अटकी-अटकी साँसें
चला-चली की बेला होती है जब भटकी साँसें
गिनी-चुनी साँसें उधार की हैं,अधिकार नहीं है
साँस सदा पतवार ,देह-नौका पर भार नहीं है
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451